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ब्राह्मणजन जागरण संस्था, जैसा की इसका प्रथम शब्द प्रमाणित करता है, हम पूर्णरुपेण ब्राह्मण समाज के लिए समर्पित हैं। इसमे कोई अतिसंयोक्ति नहीं की हम कट्टर हिंदुत्ववादी संगठन है। हम विश्व हिंदूपरिषद्, राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ व बजरंग दल जैसे संगठनों के अधिकांश उद्देश्यों तथा विचारों से सहमत है।

यदि ऐसा है तो एक और संगठन क्यों?

आज कई बिंदुओं पर ब्राह्मण समाज उपेक्षित और शोषित है। युवाओं में प्रतिभा की कोई कमी न होते हुए भी दिग्भ्रमित हैं। हम धर्मनिरपेक्षता के खोखले आदर्शों तथा वैश्विकरण के नाम पर अपने अस्तित्व की प्रतिमा खंडित करते आ रहे हैं। हम केवल हिन्दू नहीं अपीतु ब्राह्मण भी हैं। एक समय था जब कहा जाता था "ब्रम्ह जाना सो ब्राह्मणः" परंतु आज, आज हमें कहने की आवश्यकता है "अहम् ब्रह्मास्मि"। हे ब्राह्मण बंधुओ जागो और स्वयं को पहचानो तभी लोग तुम्हें पहचानेंगे। हमारे शास्त्रोचित दृष्टिकोण में वह प्रवाह रहा है जो संसार को दिशा निर्देश देता रहा है, उठो और संगठित होकर नए समाज की पुनर्स्थापना करो। संस्था एक शिलान्यास है आप एकत्रित हों और शिलास्तम्भ बनकर इसका निर्माण करें।

ब्राह्मण जन जागरण संस्था का उद्देश्य

हमारे निम्नलिखित उद्देश्य हैं जिसके लिए संस्था यथा संभव प्रयासरत है। हम तन, मन एवं धनसे ब्राह्मण जनकल्याण हेतु समर्पित हैं।

जनजागरण

हम अपनी गरिमा खो चुके हैं। हम नाना प्रकार के अनैतिक कार्यों में लिप्त हैं। हमें इसका रत्ती भर अनुमान नहीं की हमारे शास्त्र विरोधी आचरण और आधुनिकता की दौड़ में हमारी संतानें संस्कारों से विहीन पशु प्रवित्ति में परिवर्तित होती जारहीं हैं। हमें लोंगो में संस्कार व संस्कृति की ज्योति जलानी है।

जनकल्याण

जनकल्याण से हमारा अभिप्राय है, असहायों की आर्थिक मदद। असहाय हमारी वो माताएं हैं जिनका कोई सहारा नहीं, वो माएँ हैं जो छोटे बच्चों को पाल नहीं सकती, बहने जिनके सर पर पिता का हाँथ नहीं, वो बच्चे जिनके साथ बड़े भाई या पिता के मजबूत कंधे नहीं। जो दिव्यांग है अथवा बेसहारा हैं उनके लिए संस्था यथा संभव जीवन यापन हेतु व्यवसाय, शिक्षा अथवा विवाह हेतु आर्थिक सहायता के लिए कटिबद्ध है।

धर्म की स्थापना

हमारे शास्त्रों में उल्लिखित है, कलियुग में कल्कि भगवान का आविर्भाव होगा तथा धर्म पुनर्स्थापित होगा। क्या हम उस अंत तक जीवित रहकर ऐसे संयोग का साक्षी बनेंगे? यदि नहीं तो क्या हम नास्तिक जीवन का निर्वाह करें? यदि नास्तिक शब्द हमें अपमानित करे तो समझो धर्मस्थापना अत्यावश्यक है।

गोरक्षा अभियान

यह हर हिंदुत्ववादी संस्थाओं के लिए बड़ा विषय है तथा नैतिक उत्तरदायित्व भी। यह तभी संभव है जब हम बड़ी संख्या में संगठित हों और अपना वर्चस्व स्थापित कर पाएं। तब तक यथा शक्ति हम निषेध करते रहेंगे।

वर्चस्व की लड़ाई

तथाकथित राजनैतिक दल, असामाजिक तत्व तथा कट्टरपंथी ब्राह्मण विरोधी शक्तियां हमारे ब्राह्मण बंधुओं को यदि अकारण ही त्रास दे रहीं हैं तो हमें संगठित होकर उसका वहिष्कार करना है और बलपूर्वक न्यायिक सीमाओं में रहकर समस्याओं का निराकरण करना है। हर ब्राह्मण की समस्या समाधान हमारे अस्तित्व की लड़ाई होगी।

आरक्षण हटाओ

यह ऐसा रोग है जिसने हमें अपाहिज बना दिया है। प्रतिभाएं आरक्षण के काले बादलों में विलुप्त हो रहीं हैं और अयोग्य अधिकारी देश को लूट रहें हैं। हम खुलकर विरोध कर सकते हैं। हमारी आने वाली पीढियां हमें आतुरता से निहार रहीं हैं परंतु हम अकेले इतने बड़े सिस्टम के सामने कुछ नहीं। हमें पथनिर्माण करना होगा, हमें एक हो जाना है, हमें बड़ी संख्या में संगठित होकर इस आरक्षण रूपी पत्थर को हमारे नवयुवाओं के रास्ते से हटाना है।

आरोग्य केंद्र की स्थापना

जब संस्था सुदृढ़ हो जायेगी तब संस्था की तरफ से गरीबों और असहायों के लिए आरोग्य केंद्र की स्थापना की जायेगी जिसमें यथा संभव निःशुल्क अथवा कम से कम मूल्यों पर अधिक से अधिक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी। एक स्वस्थ व्यक्ति ही स्वस्थ समाज का आधार होता है।

शिक्षा केंद्र की स्थापना

आरोग्य के अतिरिक्त शिक्षा भी हमारी मूलभुत आवश्यकताओं में से एक हैं जिसके बिना सांस्कारिक समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती। संस्था की सुदृढ़ता के उपरांत यथासंभव पाठशाला व माध्यमिक विद्यालयों की स्थापना की जायेगी।

व्यवसाय प्रशिक्षण

कभी कभी योग्यता और धन होते हुए भी जीविकोपार्जन कठिन होता है। हमारे यहाँ हनुमान की कमी नहीं, हमें जामवंत चाहिए। उचित मार्ग दर्शन से नवयुवाओं में व्यावसायिक जागृति उत्पन्न होगी और अपना जीवन निर्वाह कुशलतापूर्वक कर पाएंगे।

दहेज़ प्रथा निर्मूलन

यह ब्राह्मणों की संस्था है। जब हम एक होंगे तो हमारे संबंधों का क्षेत्र भी बढ़ेगा। हम सुविधानुसार विवाह प्रस्ताव भी रख सकते हैं। संस्था के सदस्य पारस्परिक विचार विमर्श से दहेज़ रहित विवाह संपन्न कर पाएंगे। दहेज़ हर कन्यापक्ष के लिए अभिशाप है। हमें यह अपवाद विनष्ट करना है।

प्राकृतिक आपदा

हम एक संगठन हैं हमारा अन्य समाज व जीवों के प्रति भी उत्तरदायित्व है। यदि कोई प्राकृतिक आपदा आती है, हमें संगठित होकर यथा शक्ति योगदान देना होगा। हमें आरोग्य, शिक्षा, व्यवसाय तथा अवांछित आपदाओं के लिए संगठन से ऊपर उठकर हर संभव मदद करनी है।

इस प्रकार हम तन, मन, धन से संगठित होकर धार्मिक, संस्कारिक एवं शिक्षित ब्राह्मण समाज की स्थापना करते हुए अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ेंगे। हम आरक्षण मुक्त भारतीय संविधान चाहते हैं। हम अहिंसा के पुजारी हैं, हमारे हांथों में कलम रहने दो, हमारी भावनाओं से न खेला जाये। गोरक्षा हो, धर्म का उत्थान हो तथा हमारे युवा प्रतिभाओं पर आरक्षण की तलवार न चलाई जाये।

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