कृपया पूरा पढ़ें जरुरी नहीं सभी हमारे मत से सहमत हों, परन्तु कमैंट्स आवश्यक नहीं. हम लोगों में संस्कार जागृत करना चाहते हैं. कृपया वाद विवाद से बचें.

क्या वाकई ब्राह्मण हिन्दुओं को बाँट रहा है?

RSS १९२५ में बना और विश्व हिन्दू परिषद १९६४ में हमें नहीं लगता हम बँट गए. और फिर १९८४ में बजरंग दल अस्तित्व में आता है और हमें नहीं लगता हिन्दू विभाजित हो रहे हैं. मुझे आश्चर्य होता है, “ब्राह्मण जनजागरण संस्था” ने यह कार्य कर दिया?

ब्राह्मण एक परिवार है धर्म नहीं

यदि कोई व्यक्ति किसी सामाजिक कार्य में अभिरुचि रखता है तो वह अपने परिवार का त्याग नहीं करता. हिंदुत्व एक धर्म है, ब्राह्मण एक जाति। हिंदुत्व भारत देश है और ब्राह्मण हमारा परिवार जहाँ हम रिश्ते बनाते हैं और एक दूसरे से खून के रिश्ते में जुड़े होते हैं. इसी तरह यादव समाज, राजभर समाज, ठाकुर समाज, शर्मा, धीवर, लाला ऐसे अनेक समाज हैं. पारिवारिक एकता सामाजिक एकता के विखंडन का कारण नहीं बनती. भारत देश अनेकता में एकता का परिचारक है. यहीं है हिन्दू धर्म की महानता.

यदि कोई हिन्दू है तो अपने ग्रंथों से समत रहे

ब्राह्मण जनजागरण संस्था एक जातिवाचक हिंदुत्व संस्था है. यह एक परिवार है. यदि कोई व्यक्ति जाति व्यवस्था से सहमत नहीं है, मुझे नहीं लगता वह कट्टर हिन्दू है क्योंकि हिन्दू धर्म और इसके शास्त्रों में इसका विशेष महत्व है. अगर किसी धर्म को मानते हो तो उसे टुकड़ों में मत मानो. पुरी तरह उसके समर्थक बनो. “हिंदुस्तान में रहने वाला हर व्यक्ति हिन्दू है” हम इसका समर्थन नहीं करते. हिंदुस्तान एक उर्दू शब्द है जिसका मतलब है हिन्दुओं के रहने का स्थान. तो हिन्दू कौन है? हर वह व्यक्ति जो सनातन धर्म को स्वीकार करता है, जो भारत देश का प्राचीनतम धर्म है, वही हिन्दू है. हिंदुत्व हमारी सभ्यता है. यह जीने का अपना भारतीय तरीका है. मुशलिम विरोधी होना क्रिश्चियन विरोधी होना हिन्दू होने का परिचारक नहीं। केवल हिंदुत्व को स्वीकार करने वाला और इसके लिए मर-मिटने वाला ही सच्चा हिन्दू है .

सबको अपना समाज संगठित करना होगा

हर ब्राह्मण अपने ब्राह्मण परिवार से जुड़े रहकर हिंदुत्ववादी संस्थाओं से जुड़ा है और रहेगा. जब देश और हिंदुत्व पुकारेगा तब एक ब्राह्मण नहीं अपितु एक ब्राह्मण समाज उठ खड़ा होगा हिंदुत्व के साथ. परन्तु हिंदुत्ववादी संस्थाएं कट्टर हिन्दू ब्राह्मणों की अवहेलना न करें. यह आपसी मतभेद होगा और किसी भी तरह यह न ही देशहित में है और न ही धर्महित में. दो समान विचार धारा के परिवार आपस में जुड़ते रहे हैं और जुड़ते रहेंगें..जैसे आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद् और बजरंग दल। इसी भाति ब्राह्मण समाज भी हिंदुत्व विचारधारा का समर्थक है. महानता इसमें नहीं की हम आपको नीचा दिखाएँ और आप हमें. एकता तब बनती है जब हम आपको बुलाएँ और आप आएं. जब आप हमें बुलाएँ और हम आप के साथ हो. बून्द बून्द से सागर बनता है परन्तु एक दिन में पीने के लिए पानी इकठ्ठा नहीं कर सकते. दो व्यक्तियों के मिलने से अच्छा है दो समाज आपस में मिलें और एक दूसरे की मदद करें। एक दूसरे का सम्मान करें.
जय श्री राम! जय परशुराम!! —- ब्राह्मण जनजागरण संस्था