कहते हैं बच्चे मन के सच्चे. जी हाँ! इन बच्चों को उंच-नीच, काले-गोरे, धनी-निर्धन इत्यादि का भान भी नहीं होता; ये तो हमारे संस्कारों की देंन होती है जिससे संकीर्ण और उत्कृष्ट विचारधाराएँ जन्म लेती हैं. यदि कोई त्यौहार हो और बच्चे न सम्मिलित हो तो आनंद अधुरा रहता है. स्वतंत्रता दिवस हमारा ऐसा ही पर्व है; यदि इसमें बच्चें न सामिल ये असंभव है.

ब्राह्मण जनजागरण संस्था प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस बच्चों के बीच मनाता आ रहा है. हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी स्वतंत्रता दिवस मनाया गया. झंडारोहण एवं बुक व् पेन वितरण की कुछ तस्वीरें….